शब्दाक्षर द्वारा डॉ. विनोद शर्मा को व्यंगविधा 'सम्मान'
मेरी मर्जी, गठबंधन, मँहगाई बेचता हूँ, सरकार सोचती है, जैसी चर्चित व्यंग पुस्तकों के
लेखक डॉ. विनोद शर्मा को व्यंग विधा की निष्ठापूर्ण सेवा हेतु दि.09/12/12 को कोलकाता शहर के साँस्कृतिक
सभागार 'जीवनानन्द' में 'शब्दाक्षर संस्था' द्वारा सम्मानित किया गया। श्रोताओं
से संपूर्ण रुपेण भरे सभागार में उत्सवमूर्ति डॉ. विनोद शर्मा के अतिरिक्त सभाध्यक्ष
के रुप में मंचासीन थे कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, प्रधान वक्ता के रुप में मंचशोभित
थे नामचीन आलोचक, साहित्यकार श्री श्री निवास शर्मा, संस्कृतनिष्ठ हिन्दी के सर्जक प्रो. श्याम लाल उपाध्याय मुख्य
अतिथि एवं फर्स्ट न्यूज के संपादक तथा कोलकाता
दूरदर्शन के मंच संचालक श्री संजय सनम विशिष्ट अतिथि के रुप में मंच विराजित थे।
शाम 5 बजे से 9 बजे तक चले इस साँस्कृतिक कार्यक्रम
में मंचशुशोभित विद्वानों के अतिरिक्त श्रोता समूह से भी अनेक साहित्यिक हस्ताक्षरों
ने डॉ. विनोद शर्मा के व्यक्तित्व-कृतित्व एवं व्यंग रचना धर्मिता पर विस्तार से प्रकाश
डाला।
विशिष्ट अतिथि संजय सनम ने वक्तव्य
श्रृंखला की शुरुआत करते हुए कहा कि, डॉ. विनोद शर्मा भारतीय रेल के श्रमिक संगठन में अखिल भारतीय
स्तर पर पदस्थापित हैं, कर्मक्षेत्र के इतने बडे़ उत्तरदायित्व का पालन करते हुए भी साहित्य साधना से जुडे
रहना उनकी साहित्यनिष्ठा का परिचायक है। मुख्य अतिथि प्रो. श्याम लाल उपाध्याय ने डॉ.
विनोद शर्मा को उनकी व्यंगविधा सेवा को दृष्टिगत रखते हुए, भविष्य में 'हरि शंकर पारसाई सम्मान' से सम्मानित करने की घोषणा की। प्रधान वक्ता श्री श्री निवास
शर्मा ने डॉ. विनोद शर्मा से अपने लगभग तीन दशकों के सानिध्य का हवाला देते हुए डॉ
विनोद शर्मा के व्यक्तित्व के कुछ अनछुए पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला।अपने हृदयाउद्गार
में डॉ• विनोद शर्मा ने सभागार में उपस्थित
विद्वत समाज का आभार व्यक्त करते हुए कुछ मौलिक कटाक्ष सुनाकर सभागार को ठहाकों से
गुंजाय मान कर दिया। सारगर्भित अध्यक्षीय भाषण में डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने डॉ.
विनोद शर्मा से अपने आत्मीय अंतरंग अतीत क्षणों को सभी से साझा करते हुए कहा कि,
डॉ. विनोद शर्मा उन कुछ लोगों में से हैं, जो उँचाई
पर पहुँच कर भी अपने अतीत के संगी-साथियों
एवं अपनी जमीन को नहीं भूलते. 'शब्दाक्षर' ने एक व्यंगकार का ही सम्मान नहीं किया है,
बल्कि एक सहृदय व्यक्तित्व का भी सम्मान किया है, तदहेतु 'शब्दाक्षर संस्था' सराहना
की पात्र है।
सम्मान सत्र उपराँत अखिरी के एक
घंटे 8 से रात्रि 9 बजे तक काव्य अनुष्ठान का कार्यक्रम
हुआ। इस सत्र में सर्व श्री सेराज खान 'बातिश', डॉ. जमील हैदर 'शाद', मुस्तर इफ्तखारी के साथ अध्यक्ष
पद पर हास्य-व्यंग के कवि रावेल पुष्प मंचासीन थे।
जीवनानन्द की इस साँस्कृतिक-साहित्यिक
संध्या को जीवंत करने में मंच संचालक एवं अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह के अतिरिक्त समिति
के पदाधिकारी उपाध्यक्ष दिनेश धानुक, सचिव जीवन सिंह, उपसचिव आरती सिंह एवं संयोजक प्रदीप धानुक का सराहनीय योगदान
था।
कार्यक्रम समाप्ति पर शहर के
साहित्यिक व्यक्तित्वों को 'शब्दाक्षर' अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने हार्दिक आभार ज्ञापित किया।
उपसचिव आरती सिंह द्वारा उत्सव मूर्ति डॉ. विनोद शर्मा का तिलक लगाकर स्वागत।
सचिव जीवन सिंह द्वारा अतिथियों का पुष्प प्रदान कर आभिनन्दन
जीवनानन्द सभागार में उपस्थित श्रोता मंडल
साभापति को तिलक सम्मान
मुख्य अतिथि प्रो. श्याम लाल उपाध्याय का स्वागत
विशिष्ट अतिथि श्री संजय सनम का स्वागत
सभापति डॉ प्रेम शकर त्रिपाठी का स्वागत
सभापति डॉ प्रेम शकर त्रिपाठी द्वारा शॉल ओढ़ा कर उत्सव मूर्ति डॉ.विनोद शर्मा का स्वागत
प्रधानवक्ता श्री श्री निवास शर्मा द्वार उत्तरीय भेंट कर उत्सव मूर्ति का स्वागत
अतिथिगण उत्सव मूर्ति डॉ.विनोद शर्मा को शब्दाक्षर द्वारा 'व्यंगविधा सम्मान पत्र' भेंट करते हुए
शब्दाक्षर अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, उत्सव मूर्ति डॉ. विनोद शर्मा को प्रतीक चिन्ह भेंट करते हुए
मंच संचालक का दायित्व निर्वहन करते हुए रवि प्रताप सिंह
विशिष्ट अतिथि का वक्तव्य रखते हुए श्री संजय सनम
वक्ताओं को आमंत्रित करते मंच संचालक एवं शब्दाक्षर अध्यक्ष-रवि प्रताप सिंह
उत्सव मूर्ति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार व्यक्त करते हुए श्री सुरेन्द्र दीप
उत्सव मूर्ति पर उद्गार व्यक्त करते हुए डॉ. ज़मील हैदर 'शाद'
प्रख्यात आलोचक श्री श्री निवास शर्मा मुख्यवक्ता के सम्बोधन में
हास्य-व्यंग के कवि रावेल पुष्प उत्सव मूर्ति के साथ व्यतीत किए संस्मरण सुनाते हुए
डॉ. सेराज खान 'बातिस', डॉ विनोद शर्मा की किताबों पर व्याख्यान देते हुए
ह्रदयाउदगार व्यक्त करते हुए उत्सव मूर्ति डॉ.विनोद शर्मा
सभापति का व्याख्यान देते हुए डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी
दूसरा सत्र -काव्य अनुष्ठान
ग़ज़ल पढ़तीं शायरा सलमा सहर
काव्यरस से सराबोर होते श्रोता
मंच संचालक रवि प्रताप सिंह कवियों एवं शायरों को आमंत्रित करते हुए
शायरा सायदा अमान कलाम अर्ज करतीं हुईं
साहित्य त्रिवेणी के सम्पादक कु. वीर सिंह मार्तण्ड कविता पाठ करते हुए
इस तरह शब्दाक्षर संस्था का सम्मान समारोह एवं काव्य अनुष्ठान माँ सरस्वती अनुकंपा से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
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