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शब्दाक्षर पर पधारने हेतु आपका आभार। आपकी उपस्थिति हमारा उत्साहवर्धन करती है, अत: कृपया अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज़ करें। - रवि प्रताप सिंह।

Tuesday 18 December 2012

स्नातक-सम्मान एवं परिसंवाद सम्पन्न

                 बांग्ला अकादमी के जीवनानंद सभागार में शानिवार 15 दिसम्बर 2012 की शाम एक राष्ट्रीय परिसंवाद सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन के स्वामी ईशात्यानंद, कलकत्ता विश्व विद्यालय की हिन्दी प्रोफेसर डॉ. राजश्री शुक्ला एवं चार्बाक दर्शन के विद्वान स्वामी अक्षय चैतन्य ने युवा स्नातकों को भारत के वादों, सम्प्रदायों एवं विचारधाराओं से परिचित कराते हुए उनके विचारों को भारतीयता की ओर मोड़ने की कोशिश की। कार्यक्रम में सर्वप्रथम पुष्प गुच्छ द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में 'शब्दाक्षर' अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह को भी सदीनामा संपादक जितेन्द्र जितांशु ने आमंत्रित किया। इसके बाद सम्मान समारोह में कलकत्ता विश्व विद्यालय के स्नातक छात्रों को सदीनामा उन्नयन सम्मान दिये गये। समारोह की शुरुआत डॉ. कमलेश जैन के वक्तव्य से हुई। संस्कृत के लिए उदय शंकर खाटुआ, अनिरुद्ध कर, पियाली साधुखान, सौम्यजीत सेन, मैमिता सरकार, अर्पिता चटर्जी, बांग्ला श्रीपर्णा राय, अदिति बनर्जी, मल्लिका मंडल, सौमिक चक्रवर्ती, राजकुमार मिगिर, सुगीपर्न राय, अंग्रेजी- सौमरिता गांगुली, सिद्धार्थ दे, उर्द में 2011 के लिए सवा आलम(प्र.), फलकनाज(द्वि.), मो. अल्तमश खालीय(तृ.), 2012 सीरत परवीन(प्र.), तलीम परवीन, आफरीन खातून(तृ.) हिन्दी में प्रथम(2011) प्रीतम साव, द्वितीय प्रीति कुमारी सिंह, तृतीय अनिल कुम्हार तथा 2012 के लिए रुपेश कुमार साव, पूजा पाठक, चुम्की दे को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय पुरस्कार दिये गये। संचालन सदीनामा के संपादक जितेन्द्र जितांशु एवं धन्यवाद प्रभाकर चतुर्वेदी ने रखा।

कार्यक्रम की छवियाँ

 मंच संचालन करते जितेन्द्र जितांशु
 सभागार का दृष्य
 वक्तव्य रखती हुईं शिक्षिका कमलेश जैन
 मंचासीन वक्ता
 कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' के अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह

 शिक्षाविद् डॉ. राजश्री शुक्ला वक्तव्य रखती हुईं
यथोक्त

श्रवण मुद्रा में तल्लीन छात्र-छात्राएं

निम्न छवियों में पुरस्कार वितरण करते हुए स्वामी ईशात्मानन्द



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निम्न छवियों में पुरस्कार वितरण करते हुए स्वामी अक्षय चैतन्य


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 हर्षित मुद्रा में पुरस्कृत मेधावी छात्रा मल्लिका

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कलकता विश्वविद्यालय की विदुषी प्रो. डॉ राजश्री शुक्ला द्वारा पुरस्कार वितरण 






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 और छात्र उद्गार के साथ कार्यक्रम का समापन

प्रस्तुतिकरण-'शब्दाक्षर' अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह





Tuesday 11 December 2012


शब्दाक्षर द्वारा डॉ. विनोद शर्मा को व्यंगविधा 'सम्मान'
       मेरी मर्जी, गठबंधन, मँहगाई बेचता हूँ, सरकार सोचती है, जैसी चर्चित व्यंग पुस्तकों के लेखक डॉ. विनोद शर्मा को व्यंग विधा की निष्ठापूर्ण सेवा हेतु दि.09/12/12 को कोलकाता शहर के साँस्कृतिक सभागार 'जीवनानन्द' में 'शब्दाक्षर संस्था' द्वारा सम्मानित किया गया। श्रोताओं से संपूर्ण रुपेण भरे सभागार में उत्सवमूर्ति डॉ. विनोद शर्मा के अतिरिक्त सभाध्यक्ष के रुप में मंचासीन थे कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, प्रधान वक्ता के रुप में मंचशोभित थे नामचीन आलोचक, साहित्यकार श्री श्री निवास शर्मा, संस्कृतनिष्ठ हिन्दी के सर्जक प्रो. श्याम लाल उपाध्याय मुख्य अतिथि एवं फर्स्ट न्यूज के  संपादक तथा कोलकाता दूरदर्शन के मंच संचालक श्री संजय सनम विशिष्ट अतिथि के रुप में मंच विराजित थे।
       शाम 5 बजे से 9 बजे तक चले इस साँस्कृतिक कार्यक्रम में मंचशुशोभित विद्वानों के अतिरिक्त श्रोता समूह से भी अनेक साहित्यिक हस्ताक्षरों ने डॉ. विनोद शर्मा के व्यक्तित्व-कृतित्व एवं व्यंग रचना धर्मिता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
       विशिष्ट अतिथि संजय सनम ने वक्तव्य श्रृंखला की शुरुआत करते हुए कहा कि, डॉ. विनोद शर्मा भारतीय रेल के श्रमिक संगठन में अखिल भारतीय स्तर पर पदस्थापित हैं, कर्मक्षेत्र के इतने बडे़ उत्तरदायित्व का पालन करते हुए भी साहित्य साधना से जुडे रहना उनकी साहित्यनिष्ठा का परिचायक है। मुख्य अतिथि प्रो. श्याम लाल उपाध्याय ने डॉ. विनोद शर्मा को उनकी व्यंगविधा सेवा को दृष्टिगत रखते हुए, भविष्य में 'हरि शंकर पारसाई सम्मान' से सम्मानित करने की घोषणा की प्रधान वक्ता श्री श्री निवास शर्मा ने डॉ. विनोद शर्मा से अपने लगभग तीन दशकों के सानिध्य का हवाला देते हुए डॉ विनोद शर्मा के व्यक्तित्व के कुछ अनछुए पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला।अपने हृदयाउद्गार में डॉविनोद शर्मा ने सभागार में उपस्थित विद्वत समाज का आभार व्यक्त करते हुए कुछ मौलिक कटाक्ष सुनाकर सभागार को ठहाकों से गुंजाय मान कर दिया। सारगर्भित अध्यक्षीय भाषण में डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने डॉ. विनोद शर्मा से अपने आत्मीय अंतरंग अतीत क्षणों को सभी से साझा करते हुए कहा कि, डॉ. विनोद शर्मा उन कुछ लोगों में से हैं, जो उँचाई पर पहुँच कर भी अपने अतीत के संगी-साथियों एवं  अपनी जमीन को नहीं भूलते. 'शब्दाक्षर' ने एक व्यंगकार का ही सम्मान नहीं किया है, बल्कि एक सहृदय व्यक्तित्व का भी सम्मान किया है, तदहेतु 'शब्दाक्षर संस्था' सराहना की पात्र है
       सम्मान सत्र उपराँत अखिरी के एक घंटे 8 से रात्रि 9 बजे तक काव्य अनुष्ठान का कार्यक्रम हुआ। इस सत्र में सर्व श्री सेराज खान 'बातिश', डॉ. जमील हैदर 'शाद', मुस्तर इफ्तखारी के साथ अध्यक्ष पद पर हास्य-व्यंग के कवि रावेल पुष्प मंचासीन थे।
       जीवनानन्द की इस साँस्कृतिक-साहित्यिक संध्या को जीवंत करने में मंच संचालक एवं अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह के अतिरिक्त समिति के पदाधिकारी उपाध्यक्ष दिनेश धानुक, सचिव जीवन सिंह, उपसचिव आरती सिंह एवं संयोजक प्रदीप धानुक का सराहनीय योगदान था।
       ­­­­­ कार्यक्रम समाप्ति पर शहर के साहित्यिक व्यक्तित्वों को 'शब्दाक्षर' अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने हार्दिक आभार ज्ञापित किया।


उपसचिव आरती सिंह द्वारा उत्सव मूर्ति डॉ. विनोद शर्मा का तिलक लगाकर स्वागत।


सचिव जीवन सिंह द्वारा अतिथियों का पुष्प प्रदान कर आभिनन्दन

जीवनानन्द सभागार में उपस्थित श्रोता मंडल

साभापति को तिलक सम्मान
मुख्य अतिथि प्रो. श्याम लाल उपाध्याय का स्वागत


विशिष्ट अतिथि श्री संजय सनम का स्वागत

सभापति डॉ प्रेम शकर त्रिपाठी का स्वागत

सभापति डॉ प्रेम शकर त्रिपाठी द्वारा शॉल ओढ़ा  कर उत्सव मूर्ति डॉ.विनोद शर्मा का स्वागत

प्रधानवक्ता श्री श्री निवास शर्मा द्वार उत्तरीय भेंट कर उत्सव मूर्ति का स्वागत

अतिथिगण उत्सव मूर्ति डॉ.विनोद शर्मा को शब्दाक्षर द्वारा 'व्यंगविधा सम्मान पत्र' भेंट करते हुए

शब्दाक्षर अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, उत्सव मूर्ति डॉ. विनोद शर्मा को प्रतीक चिन्ह भेंट करते हुए


मंच संचालक का दायित्व निर्वहन करते हुए रवि प्रताप सिंह
विशिष्ट अतिथि का वक्तव्य रखते हुए श्री संजय सनम 
वक्ताओं को आमंत्रित करते मंच संचालक एवं शब्दाक्षर अध्यक्ष-रवि प्रताप सिंह
उत्सव मूर्ति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार व्यक्त करते हुए श्री सुरेन्द्र दीप

उत्सव मूर्ति पर उद्गार व्यक्त करते हुए डॉ. ज़मील हैदर 'शाद'
प्रख्यात आलोचक श्री श्री निवास शर्मा मुख्यवक्ता के सम्बोधन में
हास्य-व्यंग के कवि रावेल पुष्प उत्सव मूर्ति के साथ व्यतीत किए संस्मरण सुनाते हुए
डॉ. सेराज खान 'बातिस', डॉ विनोद शर्मा की किताबों पर व्याख्यान देते हुए

ह्रदयाउदगार व्यक्त करते हुए  उत्सव मूर्ति डॉ.विनोद शर्मा 
सभापति का व्याख्यान देते हुए डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी
दूसरा सत्र -काव्य अनुष्ठान

ग़ज़ल पढ़तीं शायरा सलमा सहर
काव्यरस से सराबोर होते श्रोता
मंच संचालक रवि प्रताप सिंह कवियों एवं शायरों को आमंत्रित करते हुए
शायरा सायदा अमान कलाम अर्ज करतीं हुईं
साहित्य त्रिवेणी के सम्पादक कु. वीर सिंह मार्तण्ड कविता पाठ करते हुए
काव्य अनुष्ठान के आखिरी शायर ज़नाब मुस्तर इफ्तिखारी शायरी करते हुए 

अखबारों की सुर्खियाँ




इस तरह शब्दाक्षर संस्था का सम्मान समारोह एवं काव्य अनुष्ठान माँ सरस्वती अनुकंपा से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।