'अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह'
2 अक्टूबर 2012, प्रातः 10 बजे से ओसवाल भवन, 2 बी, नन्दो मल्लिक लेन, कोलकाता-700006, में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वाधान में 'कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह' आयोजित किया गया।
समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने की। मुख्य अतिथि का पद शुशोभित कर रहे थे सांसद, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री एवं लोकलेखा समिति के अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी। मुख्य वक्ता की भूमिका में थे सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं समाजसेवी श्री विमल लाठ। बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन थे पूर्व कबीना मंत्री, राजस्थान सरकार, श्री यूनुस खान।
कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया जी को राष्ट्र एवं समाज के विविध क्षेत्रों में अपने अप्रतिम अवदान के कारण 75 वर्ष-पूर्ति पर अयोजित अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह में समादृत किया गया तथा श्री जैथलिया जी द्वारा रचित ग्रंथ 'कर्मयोग का पथिक' का लोकार्पण भी मंचासीन विद्वत मंडल द्वारा किया गया।
इस शुभ अवसर पर अपने-अपने क्षेत्र के अग्रणीय हस्ताक्षरों ने श्री जैथलिया जी के सराहनीय व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सारगर्भित वक्तव्यों द्वारा प्रकाश डाला। कोलकाता महानगर की सौ से भी अधिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कर्मयोगी जैथलिया जी को सम्मानित किया। चूँकि जैथलिया जी का व्यक्तित्व साहित्य अनुराग से ओत-प्रोत रहा है, तदहेतु सम्मान क्रम का प्रारम्भ साहित्यकार त्रयी- ओजश्वी कवि डॉ. अरुण प्रकाश अवस्थी, व्यंगकार डॉ. गिरिधर राय एवं कवि रवि प्रताप सिंह के कर कमलों से माल्यार्पित कर प्रारम्भित किया गया।
मुख्य वक्ता श्री विमल लाठ ने कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया को निश्वार्थ भाव से समाज एवं साहित्य की सेवा करने वाला प्रेरणादायी व्यक्तित्व बताया।
विशिष्ट अतिथि यूनुस खान ने जैथलिया जी को राजस्थान की माटी का ऎसा सपूत बताया जिसने राजस्थानी गौरव को एक छोटे से गाँव से आकर बंगाल मे सुवासित किया।
मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे डॉ मुरली मनोहर जोशी ने श्री जुगल किशोर जैथलिया को अपना पुराना साथी बताते हुए कहा, "मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि इस सभागार में उपस्थित एक भी ऎसा व्यक्ति नहीं होगा जो मुझसे पहले से जैथलिया जी को जानता हो। जैथलिया जी चाहते तो अपनी योग्यता एवं कर्म क्षमता से बहुत धनार्जन कर सकते थे किन्तु उन्होंने उतना ही धन कमाया जितना जीवन-यापन हेतु अवश्यक था। उन्होंने धन के बदले समाज एवं साहित्य सेवा को अधिक महत्व दिया, जिसका प्रमाण मैं देख पा रहा हूँ कि उन्हे सम्मानित करने वाली संस्थाओं एवं विशिष्ट जनों की सूची समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही है। यह भी सुखद संयोग है कि 2 अक्टूबर, महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री के साथ जुगलकिशोर जैथलिया जी की जन्म तिथि भी है। मैं उनके स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की ईश्वर से कामना करता हूँ।"
समारोह के अध्यक्ष, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र ने जैथलिया जी को आज के युग में भी तपश्वी जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज को ऎसे निश्वार्थ भाव से कर्मनिष्ठ होकर साहित्य समाज की सेवा करने वाले कर्मयोगियों की नितांत आवश्यक्ता है।
मुख्य वक्ता, विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष के वक्तव्य पूर्व, मंचासीन अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया के सम्मान में अपने उद्गार वचन अर्पित किए, जिनमें श्री सरदारमल कांकरिया, श्री रणेन्द्रलाल बन्द्योपाध्याय, श्री सीताराम शर्मा, श्री विश्वम्भर नेवर, श्री राहुल सिन्हा, श्री नन्दलाल शाह, श्री शान्तिलाल जैन, श्री सज्जन कुमार तुल्स्यान प्रमुख थे।
कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं लोकार्पित ग्रंथ 'कर्मयोगी का पथिक' के नामकरण कर्ता डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी ने समारोह का कुशल संचालन किया। कुमारसभा पुस्तकालय के मंत्री महाबीर बजाज, रुगलाल सुराणा जैन, मोहनलाल पारीक, सुशील ओझा, अरुण प्रकाश मल्लावत, तारा दुग्गड़ एवं दुर्गा व्यास का समारोह की व्यवस्था में विषेश योगदान रहा।
महोत्सव समिति के अध्यक्ष थे शार्दूल सिंह जैन।
समारोह का संचालन करते हुए डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी।
मंचासीन अतिथिगण।
कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से श्री जैथलिया जी को उत्तरीय अर्पित करतीं हुईं श्रीमती तारा दुग्गड़।
-: ओजश्वी कवि डॉ. अरुण प्रकाश अवस्थी श्री जैथलिया जी का सम्मान करते हुए :-
-: कवि एवं गजलकार रवि प्रताप सिंह आदरणीय जैथलिया जी को सम्मानित करते हुए :-
सम्मानित होते जैथलिया जी।
शॉल आच्छादन द्वारा सम्मानित होते श्री जैथलिया जी।
'कर्मयोग का पथिक' ग्रंथ के लोकार्पण का दृष्य।
'कर्मयोग का पथिक' ग्रंथ को सभागार को समर्पित करते डॉ. मुरली मनोहर जोशी।
समारोह को संबोधित करते मुख्य अतिथि डॉ. मुरली मनोहर जोशी।
अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र।
यथोक्त।
आभार वचन प्रेषित करते कर्मयोगी जुगल किशोर जी जैथलिया।
*कर्मयोगी का हार्दिक अभिनन्दन* प्रस्तुतकर्ता~रवि प्रताप सिंह।