स्वागतम्

शब्दाक्षर पर पधारने हेतु आपका आभार। आपकी उपस्थिति हमारा उत्साहवर्धन करती है, अत: कृपया अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज़ करें। - रवि प्रताप सिंह।

Sunday 14 October 2012

'बंगीय हिन्दी परिषद कोलकाता में अंतरंग काव्य गोष्ठी'

     शनिवार दि. 13.10.12 को सांयकाल 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक बंगीय हिन्दी परिषद कोलकाता में एक अंतरंग काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। बंगीय हिन्दी परिषद शहर की वह साहित्यिक संस्था है, जहाँ निराला, महादेवी वर्मा मुक्तिबोध, नागार्जुन जैसे अन्यतम मनीषीयों ने अपने साहित्य पुष्प बिखेरे हैं। उसी पुण्यस्थल पर दिल्ली से पधारे कविता के युवा हस्ताक्षर कुमार अनुपम के एकल काव्य पाठ का आयोजन हुआ। कुमार अनुपम ने अपने काव्यसंग्रह की रचनाओं का पाठ कर गोष्ठी में बौद्धिक चिंतन प्रवाहित किया। कुमार अनुपम के एकल काव्यपाठ पश्चात उपस्थित अन्य कवियों ने भी अपनी-अपनी कविताएं-गजलें पढ़ीं, जिससे कोलकाता के साहित्यिक रचनाधर्मिता के मिजाज का परिचय भी कुमार अनुपम को प्राप्त हुआ। श्री कुमार ने गोष्ठी में सुनाई गयीं कोलकाता के कवियों की रचनाओं को भी मुक्त कंठ से सराहा।
     कार्यक्रम प्रारम्भ होने से पहले कवि कुमार अनुपम का आत्मीय स्वागत किया गया। परिषद के महामंत्री श्री राजेन्द्र त्रिपाठी ने उन्हें पुष्पाशीष प्रदान किया । गोष्ठी का कुशल संचालन कवि विमलेश त्रिपाठी ने किया तथा अध्यक्ष पद पर आसीन थे कथाकार, गजलकार एवं कवि जनाब सिराज खान 'बातिश'।

                                                           (काव्य गोष्ठी की झलकियाँ) 








-:क्रम से प्रथम अध्यक्ष 'बातिश', मध्य में संचालक विमलेश , उनके दायें परिषद के मंत्री राजेन्द्र त्रिपाठी:-

-: काव्य पाठ करते हुए कवि कुमार अनुपम:- 

-:गोष्ठी का विहंगम दृश्य:-

-: कुमार अनुपम को तल्लीन होकर सुनते रचना धर्मी:-

-:मंत्रमुग्ध साहित्य सृजक:-

-:काव्य पाठ की गंभीर मुद्रा में कवि रवि प्रताप सिंह व मननशील हो श्रवण करते कवि नील कमल:-

-:कवि जीवन सिंह (मध्य में) ने अपने गीत गायन से गोष्ठी को आल्हादित किया:-

 -:दाहिने से अमित कुमार पाण्डेय, पापिया पाण्डेय, रंजीत 'संकल्प' एवं जगदीश भारती:-

 -: कुमार अनुपम एवं सामने परिलक्षित कवि रवि प्रताप सिंह व साहित्य रसिक घनश्याम मौर्या:-

 -:कवि विमलेश त्रिपाठी (मध्य में) काव्य पाठ करते हुए:-

-:गोष्ठी के अध्यक्ष सिराज खान 'बातिश' रचना पाठ करते हुए:-

-:परिषद के मंत्री रजेन्द्र त्रिपाठी का आभार सम्बोधन:-

(प्रस्तुति~ रवि प्रताप सिंह)

Friday 5 October 2012

'कवि सम्मेलन'

         दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्यालय, गार्डनरीच (कोलकाता-43) के, बी. एन. आर. प्रेक्षागृह में राजभाषा विभाग द्वारा एक कवि सम्मेलन का आयोजन दिनांक- 04-10-12 को 'राजभाषा पखवाडा़' के समापन समारोह के अवसर पर आयोजित हुआ। कोलकाता के कवि एवं शायर, नूर मुहम्मद 'नूर', रावेल पुष्प, कुशेश्वर, राज्यवर्धन, इरम अंसारी, सुरेन्द्र दीप, नसीम अजी़जी़ एवं रवि प्रताप सिंह ने इस काव्यसंध्या  में सहभागिता की। 

-: कवि सम्मेलन की झलकियाँ :-

 -: सुसज्जित प्रेक्षागृह :-

 -: काव्य रस से सराबोर होते, रेलवे के अधिकारी एवं कर्मचारी :-

 -: राजभाषा अधिकारी सुधा मिश्रा स्वागत भाषण देती हुईं :-

 -: मंचासीन कवि मंडली :-

 -: काव्य मंच के संचालक शायर एवं कवि, नूर मुहम्मद 'नूर' :-

 -: हास्य रस बिखेरते, शायर इरम अंसारी :-

 -: काव्य पाठ करते हुए कवि कुशेश्वर :-

 -: कविता वाचन करते हुए, कवि राज्यवर्धन:-

 -: काव्य पाठ करते हुए कवि एवं शायर रवि प्रताप सिंह :-

  -: कविता पढ़ते हुए, कवि सुरेन्द्र दीप :-

-: कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे, कवि रावेल पुष्प, काव्य पाठ करते हुए :-

Wednesday 3 October 2012

'अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह'

     2 अक्टूबर 2012, प्रातः 10 बजे से ओसवाल भवन, 2 बी, नन्दो मल्लिक लेन, कोलकाता-700006, में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वाधान में 'कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह' आयोजित किया गया। 
          समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने की। मुख्य अतिथि का पद शुशोभित कर रहे थे सांसद, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री एवं लोकलेखा समिति के अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी। मुख्य वक्ता की भूमिका में थे सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं समाजसेवी श्री विमल लाठ। बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन थे पूर्व कबीना मंत्री, राजस्थान सरकार, श्री यूनुस खान।
          कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया जी को राष्ट्र एवं समाज के विविध क्षेत्रों में अपने अप्रतिम अवदान के कारण 75 वर्ष-पूर्ति पर अयोजित अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह में समादृत किया गया तथा श्री जैथलिया जी द्वारा रचित ग्रंथ 'कर्मयोग का पथिक' का लोकार्पण भी मंचासीन विद्वत मंडल द्वारा किया गया।
           इस शुभ अवसर पर अपने-अपने क्षेत्र के अग्रणीय हस्ताक्षरों ने श्री जैथलिया जी के सराहनीय व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सारगर्भित वक्तव्यों द्वारा प्रकाश डाला। कोलकाता महानगर की सौ से भी अधिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कर्मयोगी जैथलिया जी को सम्मानित किया। चूँकि जैथलिया जी का व्यक्तित्व साहित्य अनुराग से ओत-प्रोत रहा है, तदहेतु  सम्मान क्रम का प्रारम्भ साहित्यकार त्रयी- ओजश्वी कवि डॉ. अरुण प्रकाश अवस्थी, व्यंगकार डॉ. गिरिधर राय एवं कवि रवि प्रताप सिंह के कर कमलों से माल्यार्पित कर प्रारम्भित किया गया।
           मुख्य वक्ता श्री विमल लाठ ने कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया को निश्वार्थ भाव से समाज एवं साहित्य की सेवा करने वाला प्रेरणादायी व्यक्तित्व बताया।
          विशिष्ट अतिथि यूनुस खान ने जैथलिया जी को राजस्थान की माटी का ऎसा सपूत बताया जिसने राजस्थानी गौरव को एक छोटे से गाँव से आकर बंगाल मे सुवासित किया।
          मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे डॉ मुरली मनोहर जोशी ने श्री जुगल किशोर जैथलिया को अपना पुराना साथी बताते हुए कहा, "मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि इस सभागार में उपस्थित एक भी ऎसा व्यक्ति नहीं होगा जो मुझसे पहले से जैथलिया जी को जानता हो। जैथलिया जी चाहते तो अपनी योग्यता एवं कर्म क्षमता से बहुत धनार्जन कर सकते थे किन्तु उन्होंने उतना ही धन कमाया जितना जीवन-यापन हेतु अवश्यक था। उन्होंने धन के बदले समाज एवं साहित्य सेवा को अधिक महत्व दिया, जिसका प्रमाण मैं देख पा रहा हूँ कि उन्हे सम्मानित करने वाली संस्थाओं एवं विशिष्ट जनों की सूची समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही है। यह भी सुखद संयोग है कि 2 अक्टूबर, महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री के साथ जुगलकिशोर जैथलिया जी की जन्म तिथि भी है। मैं उनके स्वस्थ एवं  सुदीर्घ जीवन की ईश्वर से कामना करता हूँ।"
           समारोह के अध्यक्ष, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र ने जैथलिया जी को आज के युग में भी तपश्वी जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज को ऎसे निश्वार्थ भाव से कर्मनिष्ठ होकर साहित्य समाज की सेवा करने वाले कर्मयोगियों की नितांत आवश्यक्ता है।
            मुख्य वक्ता, विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष के वक्तव्य पूर्व, मंचासीन अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया के सम्मान में अपने उद्गार वचन ‍अर्पित किए, जिनमें श्री सरदारमल कांकरिया, श्री रणेन्द्रलाल बन्द्योपाध्याय, श्री सीताराम शर्मा, श्री विश्वम्भर नेवर, श्री राहुल सिन्हा, श्री नन्दलाल शाह, श्री शान्तिलाल जैन, श्री सज्जन कुमार तुल्स्यान प्रमुख थे।
          कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं लोकार्पित ग्रंथ 'कर्मयोगी का पथिक' के नामकरण कर्ता डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी ने समारोह का कुशल संचालन किया। कुमारसभा पुस्तकालय के मंत्री महाबीर बजाज, रुगलाल  सुराणा जैन, मोहनलाल पारीक, सुशील ओझा, अरुण प्रकाश मल्लावत, तारा दुग्गड़ एवं  दुर्गा व्यास का समारोह की व्यवस्था में विषेश योगदान रहा।
           महोत्सव समिति के अध्यक्ष थे शार्दूल सिंह जैन।


(महोत्सव की झलकियाँ)

 समारोह का संचालन करते हुए डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी।

मंचासीन अतिथिगण।


कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से श्री जैथलिया जी को उत्तरीय अर्पित करतीं हुईं श्रीमती तारा दुग्गड़।

-: ओजश्वी कवि डॉ. अरुण प्रकाश अवस्थी श्री जैथलिया जी का सम्मान करते हुए :-
-: कवि एवं गजलकार रवि प्रताप सिंह आदरणीय जैथलिया जी को सम्मानित करते हुए :-

 सम्मानित होते जैथलिया जी।

 शॉल आच्छादन द्वारा सम्मानित होते श्री जैथलिया जी।

 'कर्मयोग का पथिक' ग्रंथ के लोकार्पण का दृष्य।

 'कर्मयोग का पथिक' ग्रंथ को सभागार को समर्पित करते डॉ. मुरली मनोहर जोशी। 



 समारोह को संबोधित करते मुख्य अतिथि डॉ. मुरली मनोहर जोशी।


 अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र।

 यथोक्त।



 आभार वचन प्रेषित करते कर्मयोगी जुगल किशोर जी जैथलिया।






*कर्मयोगी का हार्दिक अभिनन्दन* प्रस्तुतकर्ता~रवि प्रताप सिंह।
           

Tuesday 2 October 2012

'रामविलास शर्मा शतवार्षिकी उत्सव'

कोलकाता की साहित्यिक संस्था 'भारतीय भाषा परिषद' के तत्वाधान में  दिनांक 29/30-09-2012 को दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। पहले दिन की अपेक्षा दूसरा दिन अधिक विचारोत्तेजक रहा। 'लोकजागरण और नवजागरण: साहित्यिक परम्पराएं' विषय पर वैसे तो सभी वक्ताओं ने अपने विचार रखे किन्तु सारगर्भित एवं ओजस्वी वक्तव्य से कोलकाता विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला ने सभागार को मंत्र मुग्ध कर दिया।

वक्तव्य देते अरुण कमल एवं अन्य वक्ताओं के साथ दाहिने मंचासीन डॉ राजश्री शुक्ला। 

 यथोक्त

 वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं आलोचक गीतेश शर्मा।
अंतिम सत्र के मंचासीन वक्ता।

(प्रस्तुति~रवि प्रताप सिंह)

'बहुभाषी कवि सम्मेलन'


साहित्य-संस्कृति-समाज एवं कला को समर्पित 'कवितीर्थ साहित्य अकादमी' एवं 'भारतीय गोरखा संघ' के तत्वावधान में आजाद हिन्द फौज के प्रथम गोरखा शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की जयंती पर बहुभाषी कवि सम्मेलन 29 सितंबर, 2012 (शनिवार), संध्या 6 बजे, मुंशी प्रेमचंद कम्यूनिटी हॉल (हेस्टिंग), कोलकाता-22 में आयोजित हुआ।जिसमें, नेपाली, मैथिली, उत्कल, बांग्ला एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी के कवियों ने काव्य पाठ किया।





              

(प्रस्तुति-रवि प्रताप सिंह)