स्वागतम्

शब्दाक्षर पर पधारने हेतु आपका आभार। आपकी उपस्थिति हमारा उत्साहवर्धन करती है, अत: कृपया अपनी टिप्पणी अवश्य दर्ज़ करें। - रवि प्रताप सिंह।

Friday 28 September 2012

       'कविता के मतवाले, अम्बर के रखवाले'
  
       दिनाँक-27-09-12 को खड़गपुर अवस्थित वायु सेना स्टेशन 'सलुवा' में राजभाषा पखवाडा़ के अन्तर्गत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कोलकाता से आमंत्रित कवियों की सहभागिता रही। कवि सम्मेलन प्रारम्भ होने से पूर्व सम्मेलन कक्ष मे उपस्थित कुछ जवानों ने भी अपनी स्वरचित रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिससे साबित हुआ कि हमारे देश के वीर सिर्फ दुश्मनों के दाँत खट्टे करने में ही माहिर नहीं हैं, बल्कि उनमें साहित्यिक रचनात्मकता भी विद्यमान है।
        कवि सम्मेलन के आयोजन में (आई.आई.टी.)  खड़गपुर के राजभाषा विभाग का विशेष योगदान रहा। राजभाषा अधिकारी डॉ राजीव कुमार रावत ने कवि सम्मेलन का कुशल संचालन किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता 'राणा की पाती' कविता से विश्वस्तरीय पहचान बनाने वाले राष्ट्रीय कवि डॉ अरूण प्रकाश अवस्थी ने की। सभा में उपस्थित अधिकारियों, जवानों एवं उनके पारिवारिक सदस्यों को हँसा-हँसा कर लोट-पोट किया अपनी चुटीली हास्य रचनाओं द्वारा हास्य कवि डॉ गिरिधर राय ने। नभ पथ से देश की रक्षा हेतु सततरत वायु सैनिकों को कवि नन्दलाल रोशन ने देश भक्ति के तरानों से मंत्र मुग्ध कर दिया। ओज की रचनाओं द्वारा कवि रवि प्रताप सिंह ने सामाजिक विकृतियों पर गहरी चोट की। शाम चार बजे से सात बजे तक दो चक्र में चले काव्य अनुष्ठान में खड़गपुर वायु सेना, सलुवा के समस्त वायु सैनिक काव्य रस में सराबोर होते रहे।
          कार्यक्रम के प्रारम्भ में कवियों का पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत किया गया एवं कार्यक्रम समाप्ति पश्चात वायु सेना स्टेशन सलुवा 'प्रभारी' द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
प्रस्तुत हैं कार्यक्रम से सम्बन्धित चन्द तश्वीरें--------
                                                                   (प्रस्तुति~ रवि प्रताप सिंह)



-: स्वागत भाषण देते हुए वायु सेना अधिकारी:-

 -: हास्य रस बिखेरते हुए डॉ. गिरिधर राय :-


-: ओज की अभिव्यक्ति में रवि प्रताप सिंह :-




       

Saturday 22 September 2012


'दिनकर' को नमन
'प्रभात वार्ता' के कार्यकारी संपादक श्री राज मिठौलिया की उत्कृष्ट हिन्दी ग़ज़ल के साथ प्रकाशित, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' को नमन के श्रृद्धासुमन अर्पित करती मेरी स्वरचित कविता- "इष्ट हमें फिर दिनकर दे दो"----
          (रवि प्रताप सिंह)


राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में दि. 22.09.12 को रात्रि 9 बजकर 10 मिनट पर कोलकाता दूरदर्शन (डी.डी. बंग्ला) के कार्यक्रम में संचालिका- विदुषी, शुक्ला चौधरी, प्रो. गीता दुबे एवं कवि रवि प्रताप सिंह की  सहभागिता। मित्रों के अवलोकन हेतु, विडियो रिकार्डिंग प्रस्तुत--- (रवि प्रताप सिंह)



 वि‍ग्यापन अवधि पश्चात की प्रस्तुति----- (रवि प्रताप सिंह)


Thursday 20 September 2012

(जज़्बात)

उनकी जुल्फों की बात करते हो।

क्यों मियां दिन में रात करते हो।


उनके रुख़सार के चर्चे करके,

चढ़ते सूरज को मात करते हो।


जो शरापा हैं शायरी की तरह,

उनसे गजलों की बात करते हो।

(रवि प्रताप सिंह)


Monday 17 September 2012

'कविता सिर्फ़ कविता होती है'

कोलकाता के दैनिक समाचार पत्र प्रभात वार्ता ने अपने साहित्यिक पृष्ठ 'रविवार्ता' के द्वारा प्रसिद्ध कवित्री अनामिका की 'ब्रैस्ट कैंसर' और चर्चित कवि पवन करण की 'स्तन' नामक (तथाकथित) विवादित कविताओं पर एक गंभीर विमर्श की सुरुआत दिनाँक-19-08-2012 के अंक से की। प्रत्येक रविवार डा. दीप्ति गुप्ता(19-08-12), वरिष्ठ लेखिका अर्चना वर्मा(26-08-12), शालिनी माथुर(02-09-12) एवं विपिन चौधरी(09-06-12), जितेन्द्र धीर, अरुण शाद्वल के विचार प्रवाह से गुजरती हुई, बहस रविवार 16 सितम्बर 12 को मेरी काव्य समीक्षा टिप्पणी-आलेख तक पहुँचकर समाप्त घोषित हुई।संदर्भित विषय पर मेरे विमर्श आलेख की प्रकाशित प्रस्तुति अवलोकन हेतु निवेदित है----


अनामिका और पवन करण की (तथाकथित) विवादित कविताएं, जिनपर देशव्यापी विमर्श आह्वानित हुआ, भी आपके समक्ष निम्नांकित- अवलोकनार्थ प्रस्तुत हैं ----
आपके बौद्धिक काव्य-चिंतनपूर्ण समीक्षा का मुझे बेसब्री से इन्तजार रहेगा।------- आपका ~ रवि प्रताप सिंह।

    कल की कवित्री
बच्चों में हिन्दी, रोपित, पोषित, पुष्पित हो इस संकल्प के साथ हिन्दी दिवस पखवाडा़ अन्तर्गत "कविता जिन्दा रहेगी" केद्रित विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त 'बाल कवित्री' प्रतिभा त्रिवेदी पुरस्कार प्राप्त करती हुई----
प्रतिभा की काव्य प्रतिभा दैनंदिन शिखर रोहित हो इस आशीष के साथ----
                                                                        (रवि प्रताप सिंह)

Sunday 16 September 2012

पूर्व रेलवे, सियालदह मंडल ने मनाया हिन्दी दिवस एवं हिन्दी पखवाडा़
हिन्दी उत्थान में सतत प्रयत्नरत भारतीय रेलवे, अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों, मंडलों एवं शाखा कार्यालयों में सितम्बर माह में हिन्दी दिवस एवं हिन्दी पखवाडा़ का आयोजन करती है। गृह मंत्रालय भारत सरकार की हिन्दी सम्बंधी नीतियों के अनुपालन का "प्रभारी" विभाग है। भारतीय रेलवे को हिन्दी में कार्य करने हेतु लगातार उत्कृष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है, तदहेतु भारतीय रेल के सदस्य सराहना के पात्र है।
        इसीक्रम में 14 सितम्बर 2012 को सियालदह मंडल के डॉ. बी. सी. राय सभागार में हिन्दी दिवस एवं हिन्दी पखवाडा़ समापन समारोह  मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ राजभाषा अधिकारी सियालदह श्री मोती लाल पासवान के स्वागत भाषण से हुआ। इस अवसर पर रेल कर्मचारियों ने रंगारंग प्रस्तुतियों द्वारा सभागार को मंत्र मुग्द्ध कर दिया। मंडल रेल प्रबंधक सियालदह महोदय श्री सुचित्त कुमार दास ने रेल मंत्री महोदय के संदेश वाचन पश्चात अपने सारगर्भित वक्तव्य में रेल कर्मियों को अपना कार्यालयी कार्य राजभाषा हिन्दी में करने हेतु उत्प्रेरित किया। मंडल रेल प्रबंधक महोदय एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक महोदय ने हिन्दी पखवाडा़ अन्तर्गत हुई प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों को नगद धन राशि एवं प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया। अपर मंडल रेल प्रबंधक सह अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी उत्पल काँति बल ने हिन्दी की ऎतिहासिक महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।                                           
                      सम्बन्धित विषय पर सविस्तारित जानकारी हेतु समाचार पत्रों मे प्रकाशित कार्यक्रम की खबरें चस्पा हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम की तश्वीर के साथ ही चार प्रतियोगिताओं में मंडल रेल प्रबंधक एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक के कर कमलों से प्रथम पुरस्कार प्राप्तिअवसर की अपनी छवियाँ भी साझा कर रहा हूँ।
साँस्कतिक कार्यक्रम की झलक


 उपरोक्त तीनों पुरस्कार प्रदान करते हुए मंडल रेल प्रबंधक सियालदह श्री सुचित्त कुमार दास महोदय
चौथा पुरस्कार प्रदान करते हुए अपर मंडल रेल प्रबंधक (परि.) श्री उत्पल काँति बल महोदय



Sunday 2 September 2012

'निशान' का साहित्यिक अनुष्ठान
(कार्यक्रम में अध्यक्षीय वक्तव्य देती हुईं, डॉ.राजश्री शुक्ला) 
(काव्यपाठ के अवसर पर मंचालक्षित, राज्यवर्धन एवं रवि प्रताप सिंह)

     साँस्कृतिक-साहित्यिक-शैक्षिक सरोकार से अनुप्रेरित संस्था 'निशान' का वार्षिक कार्यक्रम दिनाँक-02-09-2012 की शाम कोलकाता के बालीगंज निकट, 'शरद स्मृति सदन' में आयोजित हुआ। विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय स्तर के छात्र-छात्राओं ने चित्रांकन, स्वरचित आशु कविता लेखन, गद्य लेखन, लेख, कहानी, लघु कथा, नाट्यप्रस्तुति इत्यादि अनेक विधाओं की प्रतियोगिता में भाग लिया। कथासम्राट प्रेमचन्द की जयंती से प्रारम्भ हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं ने मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से पुरस्कार ग्रहण किया। 
            पुरस्कार वितरण पश्चात काव्य पाठ का आयोजन हुआ। जिसमें कवि द्वय-राज्यवर्धन एवं रवि प्रताप सिंह ने कविता पाठ किया।                                               
          कार्यक्रम का समापन प्रेमचन्द की कहानी 'कफन' पर आधारित नाटक से हुआ, जिसे 'निशान' से जुडे़ छात्र-छात्राओं ने मंचित किया।
              समारोह की अध्यक्षता कोलकाता विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष, विदुषी डॉ. राजश्री शुक्ला ने की तथा संचालन 'निशान' के सचिव उपेन्द्र यादव ने किया।

Saturday 1 September 2012



साहित्य-संस्कृति के प्रति समर्पित संस्था
शब्दाक्षर
शायर एवं कवि 'नूर' का सम्मान करते हुए 'शब्दाक्षर' अध्यक्ष- रवि प्रताप सिंह साथ में श्री श्री निवास शर्मा ।


सदीनामा संपादक- जितेन्द्र जितांशु, श्री निवास शर्मा शायर 'नूर' के साथ। 




कवि कुशेश्वर, श्री शर्मा, 'नूर' एवं रवि प्रताप सिंह परिलक्षित।

कवि कुशेश्वर, श्री शर्मा, 'नूर' के साथ दृष्टिगोचर।
 पत्रकार- अनवर हुसेन, लेखक जीवन सिंह, कवि रमेश शर्मा एवं वक्तव्य रखते हुए राज्यवर्द्धन।   


साहित्यि त्रैमासिकी उद्गार के संपादक, कवि-सुरेन्द्र दीप 'नूर' के साथ। 


अंग वस्त्रम भेंट कर 'नूर' का अभिनन्दन करते हुए प्रसिद्ध आलोचक श्री श्री निवास शर्मा।


'नूर' को शॉल अर्पित कर सम्मानित करते हुए 'उद्गार' के संपादक एवं गंभीर रचनाकार सुरेन्द्र दीप।


ह्रदयाउद्गार व्यक्त करते 'नूर'।


गजल पढ़ते हुए शायर एवं कवि नूर मोहम्मद 'नूर'।


पत्रकार- अनवर हुसेन के साथ कवि जीवन सिंह।


पुस्तकाध्यक्ष दिनेश धानुक 'नूर' के सम्मान में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए।


'नूर' का साहित्यिक सम्मान
      साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' के तत्वाधान में कवि, शायर, कहानीकार, समीक्षक, संपादक जैसी लगभग समस्त साहित्यिक विधाओं में पारंगत रचनाकार भाई नूर मोहम्मद 'नूर' का साहित्यिक सम्मान, सूर्य कान्त त्रिपाठी 'निराला' पुस्तकालय सभागार, 3 न. कोयला घाट में, किया गया।
      दि.-30-08-12 बृहस्पतिवार, शाम 4 बजे से आयोजित इस सम्मान सभा में कोलकाता शहर के प्रतिनिधि रचनाकारों ने सहभागिता की।
      समारोह दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र में सम्मान का कार्यक्रम तथा दूसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन हुआ।
      प्रथम सत्र के सम्मान समारोह में सभा में उपस्थित कलमकारों ने मल्यार्पण एवं पुष्पगुच्छ प्रदान कर 'नूर' का स्वागत किया।समारोह मे मनोनीत अध्यक्ष वरिष्ठ आलोचक श्री श्री निवास शर्मा ने नूर को अंगवस्त्रम भेंट किया तो उद्गार पत्रिका के संपादक सुरेन्द्र 'दीप' ने शॉल आच्छादित कर नूर का सम्मान किया। 'शब्दाक्षर' संस्था की ओर से अनेक उपहार प्राप्ति पश्चात प्रारम्भ हुए वक्तव्य के क्रम मे 'नूर' की रचना धर्मिता पर वक्ताओं ने विस्तार से प्रकाश डाला।
      सम्मान समारोह में वक्तव्य का प्रारम्भ करते हुए युवा लेखक जीवन सिंह ने कहा- '' 'नूर' सरल व्यक्तिव्य के धनी हैं। उनके पास आकर हमे सहजता का बोध होता है। उनका व्यक्तिव्य आतंकित नहीं करता। जबकि वे एक बडे रचनाकार हैं।'' इसी क्रम में रमेश कुमार शर्मा ने कहा- 'नूर साहब हम लोगों को सदा प्रेरित करते रहे हैं।' पुस्तकाध्यक्ष एवं कवि दिनेश धानुक ने अपने वक्तव्य मे कहा- ' नूर साहब गुरु समान हैं। इन्होंने हम लोगों को सतत लिखने के लिए प्रेरित किया।' अतुकान्त विधा के चर्चित कवि राज्यवर्धन ने कहा, कि- 'नूर साहब उदारमना हैं। नूर साहब आज साहित्य में कोलकाता के गौरव हैं।' सुरेन्द्र 'दीप' ने नूर को आम आदमी का शायर बताते हुए कहा, कि- 'नूर मोहम्मद नूर ने अपनी रचनाधर्मिता में सहजता को  सर्वोपरि रखा।' सदीनामा के संपादक कवि जितेन्द्र जीताँशु ने प्रसंसात्मक भाव से नूर की सराहना करते हुए कहा- 'नूर भाई के माध्यम से एक नवीन रचनाधर्मिता सामने आती है।वार्षिक साहित्यनामा का प्रकाशन नूर साहब के कुशल संपादकत्व के कारण ही संभव हो पाता है।' अध्यक्ष के सम्बोधन पूर्व नूर ने अपने वक्तव्य में साहित्यिक मित्रों का आभार व्यक्त करते हुए कहा- 'मुझे अभी भी नहीं लगता की मैं कुछ विशेष लिख रहा हूँ. मैं यही चाहता हूँ कि मेरे पास लिखने-पढ़ने वाले एकत्र हों और हम आपस में चर्चा करें।मैं लिखता बहुत हूँ।उसकी तुलना में छपा कम हूँ।' अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री श्री निवास शर्मा ने नूर के साहित्यिक जीवन के सभी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा- 'लेखक की दुनिया कभी नहीं मरती। नूर मोहम्मद 'नूर' एक चिंतनशील लेखक हैं। नूर में एक ज्वालामुखी विद्यमान है। लावा के रुप में उनकी रचनाएं उबल कर बाहर निकलती रहती हैं। एक अच्छा आदमी ही एक अच्छा लेखक बन सकता है।' कार्यक्रम के आयोजक व संचालक 'शब्दाक्षर' संस्था के अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने नूर के साहित्यिक अवदान पर सविस्तार प्रकाश डालते हुए 'नूर मोहम्मद 'नूर' को देश भर में कोलकाता का प्रतिनिधित्व करने वाला शायर बताया।'
      दूसरे सत्र में सरस काव्य पाठ का आयोजन हुआ, जिसमें- सुरेन्द्र दीप, राज्यवर्धन, रवि प्रताप सिंह, दिनेश धानुक, जीवन सिंह, रमेश शर्मा ने कविताएं एवं गजलें सुनाकर उपस्थित श्रोताओ को आल्हादित किया।
      कुशेश्वर, अनवर हुसैन सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी सभागार में उपस्थित थे। दूसरे चरण के काव्य पाठ सत्र का संचालन भी 'शब्दाक्षर' अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने किया।
पुस्तकाध्यक्ष दिनेश धानुक ने धन्यवाद ‍ग्यापित किया।
                                        रवि प्रताप सिंह                                                                                
                                          अध्यक्ष
                                         'शब्दाक्षर'                                                                                                                                                                    
                                    मो.- 8013546942